दुनिया बहुत ही अजीबोंगरीब रहस्यों से भरी हुई है। आप भी कभी न कभी कुछ अजीब घटनाओं से रूबरू हुए होंगे। इनमें एक रहस्यमयी जगह पतालकोट है। बचपन में धरती के नीचे पाताललोक के बारे में अक्सर हम लोगों को बताया गया होगा। कहा जाता है कि पाताललोक में रहने वाले असुरों का राजा बलि है। यह भी कहा जाता है की इस लोक में नागों का भी निवास है। सनातन धर्म के ग्रंथों में पाताललोक के बारे विस्तार से बताया गया है। मध्यप्रदेश के चिड़वांदा जिले के तामिया इलाका में पतालकोट स्थित है। यह एरिया हरे भरे जंगल और ऊंचे नीचे पहाड़ों से भरे हुए हैं। यहां कुल 12 गांव हैं। यहां 2000 से अधिक जनजाति रहती हैं। यह पूरा गांव 20000 एकड़ भूमि में फैला हुआ है और 3 से 4 किलोमीटर में स्थित है। यह गणना पहले की है वर्त्तमान में इनमें परिवर्तन हो सकता है।
मध्यप्रदेश के इस पतालकोट में गोंड और बहरिया जनजाति लोगों का निवास है। पुराने समय में प्राकृतिक परेशानी और खराब रास्तों की वजह से इस एरिया से संपर्क टूटा हुआ था। फिलहाल इस एरिया में काफी सुधार और विकास हुआ है। वर्त्तमान समय में इस एरिया में स्कूल सहित बाकी अन्य मूलभूत सरकारी सुविधाएं भी उपलब्ध है। यहां के निवासियों यानि बहरिया समुदाय के लोग का यह मानना है की माता सीता इस स्थान पर धरती में समाई थी। रामायण काल में हनुमान जी प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण को अहिरावण से बचाने के लिए इसी मार्ग से पाताललोक ले गए थे।
पतालकोट का रहस्य:
पतालकोट रोमांच और रहस्यों से भरा हुआ है। इस क्षेत्र में सूर्य की रोशनी दोपहर के बाद भी नीचे तक नहीं पहुंच पाती। इस कारण पातालकोट में दोपहर के बाद अंधेरा हो जाता है और अगले दिन सूर्योदय के उपरांत ही यहां उजाला हो पाता है। इस एरिया में दूध नाम की एक नदी बहती है। इस घाटी की सबसे ज्यादा ऊंचाई 1500 फीट है। स्थानीय लोगों का यह कहना है की पाताललोक में जाने के लिए यह एक मात्रा प्रवेश द्वार है।