जैसलमेर किला… जहां बिना रेंट दिए रहते हैं हजारों लोग, क्या है इसका कारण

राजस्थान अपनी ऐतिहासिक धरोहर के कारण हमेशा से पर्यटकों के लिए एक आकर्षक केंद्र बना हुआ है। हर साल भारी मात्रा में पर्यटक यहां घूमने आते हैं। इस साल कोरोनावायरस के चलते पर्यटन जगत में काफी गिरावट आई है। राजस्थान में कई ऐसे शहर हैं जो अपनी ऐतिहासिक बरसात के लिए मशहूर है। जैसलमेर इन्हीं शहरों में से एक है। यह शहर राजस्थान के थार में बसा हुआ है।

ऐसा कहा जाता है महाभारत के युद्ध के बाद बड़ी संख्या में यादव यहां आकर बस गए हैं। 12वीं शताब्दी में यदुवंशियों द्वारा इस शहर की स्थापना की गई थी। सन् 1156 में राजा रावल जैसल के द्वारा जैसलमेर किले की स्थापना की गई थी। सुन्दर हवेलियां, किले और मंदिरों के लिए जैसलमेर पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। इसी कारण से जैसलमेर का नाम यूनेस्को में शामिल है।

दुनियाभर के कई ऐतिहासिक किले और हवेलियों को होटल में बदल दिया गया है, लेकिन जैसलमेर में उपस्थित किले और हवेलियों को धरोहर के रूप में बचकर रखा गया है। इसी वजह से जैसेलमेर को जिन्दा किला के नाम से भी जाना जाता है। वर्त्तमान समय में इस किले के अंदर करीब 4 हजार से अधिक लोग रहते हैं। यह लोग पर्यटन उद्योग के माध्यम से ही अपना जीवन यापन करते हैं। सबसे रोचक बात यह है की इस किले में आज भी 1 हजार से ज्यादा लोग फ्री में रहते हैं यानि उनको कोई रेंट नहीं देना पड़ता है।

यह बात शायद आपको थोड़ी अजीब लगे लेकिन यह बिलकुल सही है। इतिहास के जानकारों के मुताबिक, राजा रावल जैसल ने अपने सेवादारों की सेवा से खुश होकर उन्हें 1500 फीट लंबा किला देने का फैसला किया था। तब से लेकर अब तक सेवादारों के वंशज जैसलमेर के किले में मुफ्त में रहते हैं।

यह किला 16,062 वर्ग मील में फैला हुआ है। इसमें 99 बुर्ज मतलब गढ़ हैं और यह 250 फीट लंबा है। पीले बलुआ पत्थर से इस किले की दीवार को बनाया गया है और इस किले की छत को करीब 3 फीट कीचड़ से बनाया गया है। इस वजह से गर्मी के दिनों में काफी राहत मिलती है। इस किले में बानी जालीदार खिड़की से किले के अंदर हवा आती है।