भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने आंदोलन को लंबा चलाने का फार्मूला बताया। उन्होंने कहा कि हर एक गांव से एक ट्रैक्टर, 15 लोग 10 दिन तक यहां रहेंगे। इसी रणनीति से धरना जारी रहेगा। टिकैत ने कहा कि सरकार कृषि कानून के विरोध में जारी धरने को लंबा खींचना चाहती है। सरकार मामले का हल नहीं निकालना चाहती। ऐसे में प्रदर्शनकारी भी धरने को लंबा चलाने के लिए तैयार हैं।
दिल्ली पुलिस की चौतरफा किरकिरी
इधर, गाजीपुर बार्डर पर लोहे की बड़ी-बड़ी कीलें लगवाने के बाद दिल्ली पुलिस की चौतरफा किरकिरी हुई। ऐसा करने पर पुलिस लोगों के निशाने पर आ गई थी, इंटरनेट मीडिया पर भी इन कीलों को लेकर जमकर विरोध हो रहा था। फेसबुक और ट्विटर पर इन कीलों की फोटो तरह-तरह से पेश की जा रही थी, प्रदर्शनकारियों तक ने इन कीलों की धार को कुंद कर दिया था। काफी फजीहत होने पर पुलिस ने आनन-फानन में बृहस्पतिवार को कीलें हटवा दी। इस दौरान एक भी पुलिसकर्मी वहां मौजूद नहीं रहा। कीलें हटने पर पुलिस भी गोलमोल जवाब देती रही।
लोगों ने कहा- पुलिस ने राहों में बिछाए कांटे
गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड की आड़ में हुए उपद्रव के बाद बार्डर पर दिल्ली पुलिस ने सड़क पर कीलें लगवाई थीं। ताकि प्रदर्शनकारी अपने ट्रैक्टरों से फिर से दिल्ली में उपद्रव न मचा सकें। बार्डर पर कीलें लगने के बाद लोगों ने पुलिस को घेरना शुरू कर दिया था। कई लोगों ने इंटरनेट मीडिया पर लिखा था पुलिस ने राहों में बिछाए कांटे, कुछ ने यह भी कहा था पुलिस ने भले ही प्रदर्शनकारियों के लिए यह कीलें लगवाई हैं, लेकिन सड़क तो आम लोगों के लिए भी है।
जरूरत पड़ी तो हरियाणा से आएंगे लोग: राकेश टिकैत
इधर साहिबाबाद संवाददाता के अनुसार कृषि कानूनों के विरोध में यूपी गेट पर चल रहा धरना बृहस्पतिवार को भी जारी रहा। बारिश के कारण बृहस्पतिवार को प्रदर्शनकारियों की संख्या आम दिनों के मुकाबले कम रही। वहीं भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं धरने का नेतृत्व कर रहे राकेश टिकैत ने कहा कि यदि जरूरत पड़ी तो धरने के समर्थन में हरियाणा से भी लोगों को बुलाया जाएगा। गाजीपुर बार्डर पर दिल्ली पुलिस द्वारा लगाए गए टायर किलर पर उन्होंने कहा कि हम खेतों में फसल बो रहे हैं और वो सड़कों पर कील बो रहे हैं।
समर्थन देने पहुंचे कई नेता
विदेशियों द्वारा प्रदर्शन के समर्थन में किए गए ट्वीट से टिकैत ने पल्ला झाड़ते हुए उन्होंने कहा कि वह किसी भी ऐसे विदेशी को नहीं पहचानते जिसने ट्वीट किया है। बृहस्पतिवार को यूपी गेट में दिल्ली की तरफ से पहुंचे विपक्षी दल जिसमें कनीमोझी, सुप्रिया सुले व हरसिमरत कौर शामिल थे। वहीं, राकेश टिकैत ने कहा कि इधर हम धरने पर बैठे हैं तो बैरिकेडिंग के पार उन्हें धरने पर बैठना चाहिए था। यदि वह समर्थन करने आए थे तो वापस क्यों चले गए। उन्होंने कहा कि हमारा धरना मांगे पूरी नहीं होने तक जारी रहेगा। जब तक तीनों कृषि कानून वापस नहीं होते और एमएसपी की गारंटी सरकार नहीं देती तब तक वह सड़क नहीं छोड़ेंगे।
6 फरवरी को चक्का जाम
कृषि कानून के विरोध में चल रहे आंदोलन के अगले चरण में 6 फरवरी को आहूत चक्का जाम को लेकर किसान संगठन तैयारी में जुटे हैं। किसान संगठनों की ओर से इसके लिए गांव-गांव में अपने जत्थे भेजे जा रहे हैं, ताकि अधिक-से-अधिक लोगों को इसमें शामिल किया जा सके। दोपहर 12 से तीन बजे तक इस चक्का जाम के दौरान सभी नेशनल और स्टेट हाईवे जाम किया जाएगा और 26 जनवरी को दिल्ली में हुए ट्रैक्टर मार्च में हुई हिंसा के बाद किसानों पर दर्ज मुकदमे और गिरफ्तारी का विरोध किया जाएगा।
किसानों का है आंदोलन
आंदोलन स्थल पर लगातार राजनेताओं के आने का मुद्दा गरमाने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्यों ने कहा कि आंदोलन सौ फीसदी किसानों का है, लेकिन इसमें हर कोई शामिल हो सकता है। मोर्चा के सदस्य डा. दर्शनपाल, बलबीर सिंह राजेवाल, गुरनाम सिंह चढूनी आदि ने एक बयान जारी कर कहा कि इस आंदोलन में राजनीतिक लोगों के आने की मनाही नहीं है, लेकिन उन्हें किसान मोर्चा का मंच नहीं दिया जाएगा। आज तक किसी भी नेता को मंच नहीं दिया गया है। छह फरवरी के चक्का जाम को लेकर उन्होंने कहा कि इसमें स्थानीय लोगों की भागीदारी सबसे अधिक रहेगी। लोग कृषि कानून के विरोध में और किसानों पर किए जा रहे अत्याचार को लेकर काफी आक्रोशित हैं। उन्होंने बाधित इंटरनेट सेवाओं को भी तत्काल बहाल करने की मांग की। किसान नेताओं ने बताया कि मोर्चा के एक प्रतिनिधिमंडल ने 26 जनवरी की पुलिस कार्रवाई में मारे गए उत्तराखंड के किसान नवरीत सिंह की अंतिम अरदास में शामिल होकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है।