जयपुर में हुई भारी बारिश, मिस्र की मोमी डूबने से बची, पहली बार लाया गया शोकेस से बाहर

एक तरफ कोरोना महामारी और दूसरी तरफ बरसात की मार… पिछले एक हफ्ते से उत्तर भारत समेत देश के कई हिस्सों में तेज बारिश हो रही है। हाल ही में दिल्ली में हुई बारिश के चलते जहां लोगों को गर्मी से थोड़ी राहत मिली है, वहीं दिल्ली NCR में जल भराव का भी सामना करना पड़ा है। ऐसे में 14 अगस्त को जयपुर में 132 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है। ऐसी भारी बारिश जयपुर वालों को बहुत समय बाद देखने को मिली है। इस दौरान नदी-नाले उफान पर थे और सड़कों पर पानी भरकर बाढ़ जैसी हालत थी।

इस जबरदस्त बारिश के कारण जयपुर के अलबर्ट हल संग्रहालय में जल भराव हो गया। इस कारण संग्रहालय में मौजूद सभी दस्तावेज, किताबें और फाइलें भीग गईं। ऐसे में संग्रहालय में रखी करीब ढाई हजार साल पुरानी मोमी को बड़ी मुश्किल के साथ सुरक्षित किया गया। खबरों के मुताबिक, पहले इस मोमी को ग्राउंड फ्लोर पर रखा गया था लेकिन 2017 से यह मोमी बेसमेंट में है।

14 अगस्त को हुई भारी बारिश के कारण पानी बेसमेंट में घुस गया और मोमी के शोकेस तक पहुंच गया। जब परिस्थिति थोड़ी साधारण हुई तो संग्रहालय प्रशासन के द्वारा शोकेस के शीशे को तोड़कर मोमी को सुरक्षित किया गया। फिलहाल मोमी सुरक्षित है और प्रशासन द्वारा मोमी की पूरी तरह से संरक्षण की प्रोसेसिंग चल रही है।

यह मोमी 322 से 30 ईस्वी पहले की है और इनका नाम तूतू है। यह मोमी मिस्र की पानोपालिस शहर में मिली थी। यह मोमी मिस्र की सांस्कृतिक पोशाक में सजी हुई है। इस मोमी के आवरण पर शुद्ध भृंग है। यह पुनर्जन्म का संकेत है। इस मोमी को सन् 1883 ई. ब्रिटिश हुकूमत के समय सवाई माधो सिंह के इंडस्ट्रीयल आर्ट इकोनॉमिक एंड एजुकेशनल म्यूजियम एग्जिबिशन में कायरो से लाया गया था।

मिस्र की सभ्यता को सबसे पुरानी सभ्यता में से एक माना जाता है। इस सभ्यता के लोगों को पुनर्जन्म में बड़ी आस्था और विश्वास रहा है। इस सभ्यता का यह मानना था की अगर शरीर को सुरक्षित कर रखा जाए तो वह आत्मा जल्दी दूसरा शरीर पाता है। इसी कारण इस सभ्यता के लोग मोमी बनाते थे। यह तूतू मोमी इन्हीं में से एक है।