दुनिया भर में कोरोना वायरस के संक्रमण केसेज लगातार बढ़ते जा रहे हैं। साथ ही इसके इलाज और वैक्सीन को लेकर तरह-तरह की चीजें लोगों के सामने आ रही हैं। अभी तक कोरोना वायरस का कोई अचूक इलाज नहीं बन पाया है। वहीं, ऐसिम्प्टोमैटिक मामले दिन प्रतिदिन बढ़ रहे हैं। इसका मतलब यह है की ऐसे लोगों की संख्या ज्यादा है जो कोरोना से संक्रमित तो हैं लेकिन उनमें किसी प्रकार के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं।
इस वायरस के बारे में पहले लोगों में यह धारणा थी कि हर्ड इम्युनिटी के जरिए ही इस कोरोना वायरस को हराया जा सकता है। एक स्टडी के तहत यह कहा जा रहा था की पूरी दुनिया की कुल आबादी के 70 फीसद लोगों को इस महामारी से संक्रमित होना जरुरी था। अगर ऐसा होता है तो यह आंकड़ा काफी डरवना है। वहीं, अब एक नई स्टडी में यह पाया गया है कि ट्रांसमिशन के लिए केवल 43 फीसद लोगों का संक्रमित होना जरूरी है। आपक बता दें कि यह स्टडी यूनिवर्सिटी ऑफ स्टॉकहोम और यूनिवर्सिटी ऑफ नॉटिंघम के गणितज्ञों ने की थी जिसे साइंस जर्नल में छापा गया है।
जैसे जैसे समय बीत रहा है और भी नई चीजें सामने आ रही है। हांलाकि नई अध्यन के मुताबिक पूरी दुनिया के कूल आबादी का 70 फीसदी नहीं बल्कि 43 फीसदी लोगों में कोरोना संक्रमित होना जरुरी है। यह अध्यन यूनिवर्सिटी ऑफ स्टॉकहोम और यूनिवर्सिटी ऑफ नॉटिंघम के गणितज्ञों ने किया, इस स्टडी को साइंस जर्नल में छापा गया है। इस शोध में पाया गया है की ट्रांसमिशन को लिए सिर्फ 43 प्रतिशत लोगों को संक्रमित होना जरुरी है। रिसर्च में यह अनुमान लगाया गया है कि दुनिया की कुछ आबादी के 43 फीसद को इंफेक्ट होने की जरूरत है जिससे ट्रांसमिशन को रोका जा सके। वहीं, इससे पहले अनुमान लगाया गया था कि अगर न्यूनतम 70 फीसद आबादी वायरस से इन्फेक्ट होती है तो इससे हर्ड इम्यूनिटी पैदा हो सकती है।
जानें हर्ड इम्यूनिटी क्या होती है:
शुरुआती दिनों में इस आधार पर लॉकडाउन किया गया था की लोग लॉकडाउन में अपने घर में रहेंगे तो इस संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है। जैसे-जैसे लोग बाहर निकलते गए वैसे-वैसे ही यह महामारी तेजी से लोगों में फैलती गई। यही वजह है कि इस वायरस से छिपने की नहीं बल्कि इसका सामना करने की जरुरत है। रिसर्च में यह बताया गया है कि जितने ज्यादा से ज्यादा लोग इस वायरस से संक्रमित होंगे, मनुष्य में इस वायरस से लड़ने की क्षमता और बढ़ेगी। इसी को हर्ड इम्युनिटी कहते हैं।
समझे कैसे काम करती है हार्ड इम्युनिटी:
कई वैज्ञानिक दुनिया को कोरोना महामारी से बचने के लिए हर्ड इम्यूनिटी को अपनाने की सलाह दे रहे हैं जिससे इस महामारी को फैलने से रोका जा सके।
मेडिकल साइंस की पुराणी पद्धति को मानें तो हर्ड इम्युनिटी कि बातें बिलकुल सत्य हैं। हार्ड इम्युनिटी मलतब सामूहिक रोग प्रतिरोध क्षमता। इस आधार पर यह समझा जा सकता है की इस महामारी से बचने के लिए कम से कम 43 फीसद लोगों को संक्रमित होने दिया जाए। इससे उनके शरीर के अंदर इस बीमारी के खिलाफ प्रतिरोध क्षमता पैदा होगी।
इस प्रक्रिया से शरीर के अंदर कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडीज बनेंगी। उन एंटीबॉडीज को उनके शरीर से निकल कर इस वायरस के खिलाफ वैक्सीन तैयार करने की कोशिश की जा सकती है। इससे यह होगा कि दोबारा यह वायरस न तो उन्हें संक्रमित करेगा और न ही दूसरों को संक्रमित करेगा।
नोट: कोरोनावायरस की वैक्सीन या दवाई फिलहाल नहीं बनी है। क्लीनिकल ट्रायल्स चल रहे हैं। जब तक WHO की तरफ से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं आ जाती है तब तक इस वायरस की रोकथाम करने के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है। उपरोक्त सभी केवल रिसर्च और स्टडी पर आधारित है।