गुरुग्राम के 500 उद्योग हरियाणा से नोएडा के सेक्टर 29 में शिफ्ट होने को तैयार

गुरुग्राम और मानेसर की ऑटो, कंस्ट्रक्शन और गारमेंट एक्सपोर्ट की करीब 500 इंडस्ट्री के उद्यमी नोएडा के सेक्टर 29 में शिफ्ट होने की तैयारी में हैं। इन इंडस्ट्री के उद्यमियों का कहना है कि उनके यहां 80 फीसदी कर्मचारी दूसरे प्रांत के हैं। जबकि राज्य सरकार का नया कानून हरियाणा के युवाओं को सभी प्राइवेट संस्थानों में 75 फीसदी आरक्षण देने का है। इन परिस्थितियों में इन इंडस्ट्री के सामने यूपी में पलायन करने के अलावा और कोई विकल्प ही नहीं है।

इसीलिए आईएमटी इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के पदाधिकारी इसी सप्ताह नोएडा में संभावनाएं तलाशने गए थे। उन्हें नोएडा का सेक्टर 29 इन इंडस्ट्री के लिए बेहतर मिला है। इस बारे में एसोसिएशन का तर्क है कि यह सेक्टर जेबर के नजदीक है। साथ ही यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण से सटा हुआ है। भविष्य में यही पर इंटरनेशनल एयरपोर्ट स्थापित होने जा रहा है। पास से ही फ्रेट कोरिडोर निकल रहा है। यह सब इन इंडस्ट्री के लिए मानेसर और गुरुग्राम से बेहतर होगा।

जबकि छह महीने बाद हरियाणा सरकार का दबाव होगा कि अपने यहां के 75 फीसदी युवाओं को नौकरी दो। जो कि व्यवहारिक नहीं है। क्योंकि यहां के युवा गारमेंट इंडस्ट्री के लिए तकनीकी रूप से सिलाई के लिए प्रशिक्षित नहीं है। इस उद्योग में यूपी और बिहार के लोग ही ट्रेंड हैं। इसी तरह आटो इंडस्ट्री में भी यूपी, बिहार,झारखंड, मध्यप्रदेश तथा छत्तीसगढ़ के लोग ही ट्रेंड होते हैं। यही स्थिति कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री की है।

मानेसर आईएमटी इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के महासचिव मनोज त्यागी का कहना है कि इन सभी ट्रेड के उद्यमियों की टीम नोएडा के सेक्टर 29 का दौरा कर चुकी है। यह सेक्टर इन इंडस्ट्री के लिए अच्छा है, इसी के आधार पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ से मिलने का समय मांगा है। इस बारे में संदेश भी भिजवा दिया गया है।

उद्यमी चाहते हैं कि यूपी सरकार इस सेक्टर को इन इंडस्ट्री के लिए अच्छे पैकेज में उपलब्ध कराए। साथ ही बिजली तथा अन्य सुविधाओं के लिए भी पैकेज मिलेगा तो वहां पर इंडस्ट्री स्थापित कराने में किसी भी किसी तरह की परेशानी नहीं होगी। क्योंकि मौजूदा सरकार इस कानून में किसी भी तरह का बदलाव नहीं कर रह रही है। पिछले दिनों ऑन लाइन सुझाव मांगे गए थे, वह भी श्रम विभाग को भेज दिए हैं। यदि सरकार ने इस कानून को वापस नहीं लिया तो पलायन के अलावा और कोई विकल्प नहीं होगा।

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