संसद की एक समिति ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी और उसकी रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन से ऑटो इंडस्ट्री को प्रतिदिन 2,300 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ और इस सेक्टर में करीब 3.45 लाख लोगों की नौकरियां जाने का अंदेशा है. समिति ने मंगलवार को अपनी रिपोर्ट राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू को सौंपी. तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) सांसद केशव राव की अध्यक्षता वाली वाणिज्य पर संसद की स्थायी समिति ने वाहन क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने के लिए कुछ उपायों का भी सुझाव दिया है. इसमें मौजूदा भूमि और श्रम कानूनों में बदलाव शामिल हैं.
3.45 लाख रोजगार के नुकसान का अनुमान
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा, “समिति को वाहन उद्योग के संठनों ने सूचित किया कि सभी प्रमुख मूल कलपुर्जे, उपकरण विनिर्माताओं (ओईएम) ने कम उत्पादन और वाहनों की बिक्री कम होने से अपने उत्पादन में 18 से 20 प्रतिशत की कमी की है. इससे ऑटो सेक्टर में रोजगार की स्थिति पर बुरा प्रभाव पड़ा और सेक्टर में करीब 3.45 लाख रोजगार के नुकसान का अनुमान लगाया गया है.”
छोटे कारोबारियों पर पड़ा बुरा असर
रिपोर्ट के अनुसार ऑटो सेक्टर में नियुक्तियां लगभग रूकी हुई हैं. इसके अलावा 286 वाहन डीलरों की दुकानें बंद हो गई हैं. उत्पादन में कटौती का कल-पुर्जे बनाने वाले उद्योग पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. इससे सबसे ज्यादा असर उन छोटे कारोबारियों (एमएसएमई) पर पड़ा है, जो वाहन के उपकरण बनाने के काम में लगे थे.
हर दिन करीब 2,300 करोड़ रुपये का हुआ नुकसान
समिति ने कहा, “ऑटो इंडस्ट्री ऑर्गनाइजेशंस की सूचना के अनुसार कोरोना वायरस महामारी और उसकी रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन से वाहन ओईएम में उत्पादन रूक गया. इससे ऑटो सेक्टर को प्रतिदिन करीब 2,300 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. संसद की समिति ने यह भी कहा कि वास्तविक प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि लॉकडाउन की अवधि कब तक रहती है और कोरोना वायरस संकट की स्थिति कैसी रहती है.
हो सकती है दो साल की बड़ी गिरावट
रिपोर्ट के अनुसार संकट को देखते हुए यह आशंका है कि ऑटो इंडस्ट्री में कम-से-कम दो साल बड़ी गिरावट रह सकती है. इससे क्षमता का कम उपयोग होगा, पूंजी व्यय कम होगा, कंपनियों के दिवालिया होने और पूरे ऑटो सेक्टर में नौकरियों पर प्रतिकूल असर रहने की आशंका है.