भारत में व्हीकल स्क्रैपेज पॉलिसी की घोषणा की जा चुकी है। इस पॉलिसी को भारत में लागू करने का मुख्य मकसद प्रदूषण पर लगाम लगाना है साथ ही इससे ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को भी बल मिलेगा। हालांकि इस पॉलिसी से जुड़ी हुई कुछ ऐसी बातें हैं जो आपको पता होनी चाहिए। ज्यादातर लोग इस पॉलिसी के बारे में सिर्फ ऊपरी तौर पर जानते हैं लेकिन आज हम आपको इस पॉलिसी से जुड़ी हुई कुछ जरूरी बातें बताने जा रहे हैं।
स्क्रेपेज पॉलिसी में लोगों को अपने वाहनों का फिटनेस टेस्ट करवाना पड़ेगा। इस फिटनेस टेस्ट के लिए समय सीमा तय की गई है। आपको बता दें कि निजी वाहनों को 20 साल के बाद और कमर्शियल वाहनों को 15 साल के बाद फिटनेस टेस्ट कराना होगा। इसके लिए सरकार ऑटोमेटेड सेंटर्स तैयार करेगी और टेस्ट के बाद वाहन को फिटनेस सर्टिफिकेट दिया जाएगा।
इस पॉलिसी में फिटनेस टेस्ट पास कर चुके 8 साल से पुराने वाहनों को ग्रीन टैक्स देना पड़ेगा। फिटनेस सर्टिफिकेट को रिन्यू करने के समय रोड टैक्स के 10 से 25 प्रतिशत की दर से ग्रीन टैक्स वसूला जा सकता है।
अगर ग्राहक स्क्रैपेज पॉलिसी का लाभ लेना चाहते हैं तो इसके लिए आपको अपने पुराने वाहन को स्क्रैप के लिए देना पड़ता है। इसके बाद आप नये वाहन की खरीद पर कंपनी की तरह से 5 फीसद की छूट हासिल कर सकते हैं। इस पॉलिसी से पुराने और ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को सड़क से हटाने में मदद मिलेगी जिससे प्रदूषण के बढ़ते हुए स्तर को तेजी से कम किया जा सकेगा।
जैसा कि आप जानते हैं कि कुछ लोग अपना वाहन काफी अच्छी तरह से मेनटेन रखते हैं वहीं कुछ लोगों का वहां उसकी उम्र पूरा होने तक बेहद ही खराब कंडीशन में आ जाता है। ऐसा माना जा रहा है कि स्क्रैपेज पॉलिसी का लाभ लेने के लिए वाहन की कंडीशन भी मायने रखेगी।
अगर वाहन की उम्र पूरी हो चुकी है और वो फिटनेस टेस्ट में फेल हो जाता है तो उसका इस्तेमाल बंद करना पड़ेगा। अगर फिटनेस टेस्ट में फेल हो चुका वाहन सड़क पर पकड़ा जाता है जो उसपर भारी चालान किया जा सकता है। इतना ही नहीं आपका वाहन सीज भी किया जा सकता है जिससे अप इस वाहन को दोबारा ना चला सकें।