आम बजट 2021-22 में दो सरकारी बैंकों और एक बीमा कंपनी के निजीकरण की घोषणा को अमली जामा पहनाने को लेकर वित्त मंत्रालय ने तैयारियां तेज कर दी हैं। मंत्रालय के अधिकारी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की तरफ से दो बैंकों व एक बीमा कंपनी के निजीकरण को लेकर दी गई समयसीमा के पालन में कोई कोताही नहीं बरतना चाहते।
निजीकरण के लिए बैंकिंग कंपनीज एक्ट और बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट में संशोधन को लेकर फिलहाल मंत्रालय में विमर्श चल रहा है। माना जा रहा है कि अगर पांच राज्यों में चुनाव नहीं होते तो मौजूदा बजट सत्र में ही इस बारे में विधेयक पेश कर दिया जाता। फिलहाल चुनावों के कारण बजट सत्र की अवधि भी घटाने पर चर्चा हो रही है। ऐसे में उक्त संशोधन विधेयक को मानसून सत्र में लाने की कोशिश होगी।
मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, अभी जिन दो सरकारी बैंकों और एक सरकारी जनरल इंश्योरेंस कंपनी का निजीकरण किया जाने वाला है, उनके नामों पर फैसला नहीं हुआ है। इस घोषणा को अमली जामा पहनाने के लिए कानून में संशोधन सबसे पहली शर्त है। संशोधन का काम पूरा होने के बाद निजीकरण की प्रक्रिया उचित समय पर पूरी की जा सकेगी।
आम बजट 2021-22 में केंद्र सरकार ने विनिवेश से 1.75 लाख करोड़ रुपये हासिल करने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए दो सरकारी बैंकों और एक बीमा कंपनी के निजीकरण के अलावा भारतीय जीवन बीमा निगम और आइडीबीआइ बैंक में सरकार की हिस्सेदारी को बेचना जरूरी होगा। इस तरह से देखा जाए तो वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले पांच संस्थानों में केंद्र सरकार की हिस्सेदारी बेची जाएगी। सूत्रों का कहना है कि संभवत: पूरी प्रक्रिया अगले वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही (दिसंबर, 2021) तक पूरी कर ली जाएगी।
नाम पर अभी फैसला नहीं
वित्त मंत्रालय की तैयारियों से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया या बैंक ऑफ महाराष्ट्र के निजीकरण को लेकर जो बातें मीडिया में आई हैं, उनमें कोई सच्चाई नहीं है। किस आधार पर बैंकों का निजीकरण होगा, इस बारे में अभी फैसला नहीं हुआ है। इतना तय है कि पांच-छह बड़े बैंक सरकारी नियंत्रण में आगे भी रहेंगे। भारत में अभी एक दर्जन सरकारी बैंक है। इनमें एसबीआइ, पीएनबी, बीओबी, केनरा बैंक, बैंक ऑफ इंडिया पांच बड़े बैंक है। यूनियन बैंक ऑफ इडिया, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन बैंक मध्यम श्रेणी और बैंक ऑफ महाराष्ट्र, यूको बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक और इंडियन ओवरसीज बैंक अपेक्षाकृत छोटे हैं। संभवत: मध्यम और छोटे वर्ग में से एक-एक बैंक का निजीकरण होगा।