कोरोना के खिलाफ बड़े पैमाने पर टीकाकरण शुरू होने के साथ ही वैक्सीन की दो डोज के बीच के अंतराल को लेकर बहस छिड़ गई है। जहां सरकार विज्ञानियों की राय के आधार पर चार हफ्ते से छह हफ्ते के भीतर दूसरी डोज लेने पर जोर दे रही है, वहीं कई विज्ञानी विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और अन्य अध्ययनों के आधार पर इसे 12 हफ्ते करने की जरूरत बता रहे हैं। ध्यान देने की बात है कि ब्रिटेन अपने नागरिकों को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन, जिसे भारत में सीरम इंस्टीट्यूट कोविशील्ड के नाम से बना रहा है, की दूसरी डोज 12 हफ्ते के अंतराल पर दे रहा है।
भारत अपने वैज्ञानिकों की सलाह पर फिलहाल 28 दिन के अंतराल पर ही दूसरी डोज दे रहा है। इस बारे में वैक्सीन को लेकर गठित उच्च स्तरीय समिति के सह-अध्यक्ष और नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल का कहना है कि 28 दिन का अंतराल हमारे विज्ञानियों के सुझाव के आधार पर रखा गया है। उनके अनुसार ट्रायल के दौरान वैक्सीन के प्रभाव के आंकड़ों के आधार पर यह अंतराल रखा गया है।
दूसरी डोज 42 दिन के भीतर कभी भी ले सकते हैं: स्वास्थ्य सचिव
वहीं स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण का कहना है कि दो डोज के बीच 28 दिन का अंतराल जरूर रखा गया है, लेकिन यह किसी के लिए बाध्यकारी नहीं है। राजेश भूषण के अनुसार ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआइ) ने भारत में कोविशील्ड और कोवैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की इजाजत देते हुए दो डोज के बीच चार से छह हफ्ते तक अंतराल रखने को कहा है।
दूसरी डोज लेने के लिए बाध्य नहीं
उन्होंने कहा कि खुद डॉ. पॉल ने 30वें दिन वैक्सीन की दूसरी डोज ली थी। भूषण ने भी साफ कर दिया कि पहली डोज लेने के 28 दिन बाद दूसरी डोज नहीं लेने वालों का पूरा आंकड़ा सरकार के पास उपलब्ध है, लेकिन वैक्सीन की पूरी प्रक्रिया स्वैच्छिक होने के कारण सरकार किसी को दूसरी डोज लेने के लिए बाध्य नहीं कर सकती है। स्वास्थ्य सचिव का साफ संकेत है कि अगर कोई व्यक्ति छह हफ्ते के बाद भी दूसरी डोज लेने आता है तो उसे दिया जाएगा।
अंतराल बढ़ाने की पैरोकारी
वैक्सीन से जुड़ी प्रसिद्ध विज्ञानी डॉ. गगनदीप कौर अंतराल को बढ़ाने के लिए गंभीरता से विचार करने की जरूरत बताती हैं। उनके अनुसार दुनिया में अलग-अलग जगहों पर हुए स्टडी में यह पाया गया है कि दो डोज के बीच का अंतराल बढ़ाने पर वैक्सीन का प्रभाव 20 से 30 फीसद तक बढ़ जाता है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
28 दिन का अंतराल ही सही
हालांकि, भारतीय दवा अनुसंधान परिषद यानी आइसीएमआर के वरिष्ठ विज्ञानी डॉ. समीरन पांडा डोज के बीच अंतराल बढ़ाए जाने के तर्क से सहमत नहीं हैं। उनके अनुसार अधिक अंतराल पर वैक्सीन का प्रभाव बढ़ने के दावे को प्रमाणित करने के लिए बड़ी संख्या में लोगों पर ट्रायल करने की जरूरत है। अभी तक के दावे बहुत छोटे-छोटे ट्रायल के आधार पर किए जा रहे हैं। यही नहीं, तीन महीने का अंतराल काफी लंबा होता है, इस दौरान वायरस में म्यूटेशन के साथ ही काफी कुछ बदल सकता है। इसीलिए भारत जैसे बड़ी जनसंख्या वाले देश में कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए कम समय में अधिक-से-अधिक लोगों को वैक्सीन देना जरूरी है।
उन्होंने यहां तक कि यदि उपलब्ध हो तो सिंगल शॉट वैक्सीन यानी एक ही डोज वाली विज्ञानी अधिक पसंद करेंगे। दो डोज के अंतराल को लेकर जहां अलग-अलग विचार हैं, वहीं इस विवाद को डॉक्टर टालना ही उचित समझते हैं कि वैक्सीन के बाद मदिरा का सेवन करना चाहिए या नहीं। उनका कहना है कि ऐसी कोई स्टडी नहीं आई है कि मदिरा लेने से वैक्सीन की क्षमता खत्म हो जाएगी। उनका कहना है कि मदिरा वैसे ही स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, इसका वैक्सीन से कोई लेना-देना नहीं है। जबकि आइसीएमआर के डीजी डॉ. बलराम भार्गव का कहना है कि वैक्सीन के लिए खून पतला करने वाली दवा से कोई परहेज नहीं है। ध्यान रहे कि मदिरा से भी खून पतला होता है।