कोरोना वायरस के संक्रमण के कम होने और टीकाकरण अभियान के बाद से आम लोगों का जीवन पटरी पर लौटने लगा है। खरमास के खत्म होते ही देश में शादी विवाह का मौसम शुरू होने वाला है। 2020 में कोविड – 19 की वजह से कई शादियां या तो टाल दी गई थी या तो सादे तरीके से संपन्न कराई गई थी। लेकिन इस सीजन में शादी की धूम धाम फिर से देखने को मिल सकती है। लिहाजा भागलपुर के सिल्क की मांग देश भर से आ रही है।
कॉटन के धागे के दाम बढ़ने की वजह से बुनकरों ने लौटाया आर्डर
भागलपुर के बुनकरों ने करीब 50 करोड़ का आर्डर इसलिए छोड़ दिया क्योंकि धागे की कीमत में इजाफा हो चुका है। बताया गया कि जिस कॉटन धागे की कीमत 300 किलो थी वह अब 450 रुपये किलो मिल रहा है। लेकिन देश के कई बड़े शहरों के व्यापारी पुरानी कीमत पर ही माल खरीदना चाह रहे हैं। बताया गया कि आने वाली लगन को देखकर देश भर से लगभग 50 करोड़ के ऑर्डर भागलपुर के बुनकरों को मिले थे। लेकिन बुनकरों ने मजबूरी की वजह से मिले अपनों को ठुकरा दिया।
भागलपुर में सिल्क का सालाना कारोबार 600 करोड़ का
बता दें कि भागलपुर में सिल्क का सालाना कारोबार लगभग 600 करोड़ रुपए का है। बताया जाता है कि 5 साल पहले या कारोबार 500 करोड़ का था जो अब बढ़कर 600 करोड़ हो चुका है। बताया गया कि कॉटन धागों की बढ़ी कीमत की वजह से पहले जो सिल्क की साड़ी 2000 में तैयार होती थी उसे बनाने में अब लगभग 2400 रुपये खर्च होंगे। वहीं 100 वाला दुपट्टा अब तैयार करने में 125 रुपये का खर्च आएगा। इस वजह से पुराने रेट पर व्यापारियों का आर्डर पूरा करना संभव नहीं है। धागे की कीमत बढ़ने से बुनकरों को ज्यादा खर्च आएगा लिहाजा पुरानी कीमत पर माल देना संभव नही है।