कृषि कानूनों के खिलाफ देश में किसानों का प्रदर्शन देखने को मिल रहा है. किसान लगातार केंद्र सरकार की ओर से लाए गए नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं और इसे वापस लेने की मांग कर रहे हैं. हालांकि केंद्र सरकार कृषि कानूनों को वापस लेने से इनकार कर चुकी है, जिसके कारण किसान भी पीछे नहीं हट रहे हैं. वहीं किसानों के विरोध प्रदर्शन के कारण हर रोज देश की इकॉनोमी को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है.
पिछले करीब तीन हफ्तों से देश में किसान दिल्ली बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं. हजारों की संख्या में किसान दिल्ली बॉर्डर पर केंद्र सरकार के कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं. किसान अड़े हुए हैं कि जब तक सरकार इन कानूनों को वापस नहीं लेती, तब तक वो दिल्ली बॉर्डर से नहीं हटेंगे. वहीं किसानों के प्रदर्शन के कारण देश की इकॉनोमी को हर रोज हजारों रुपयों का घाटा उठाना पड़ रहा है.
अर्थव्यवस्था को नुकसान
देश के प्रमुख वाणिज्य एवं उद्योग मंडल एसोचैम (ASSOCHAM) ने कहा है कि देश में जारी किसान प्रदर्शन के कारण अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान उठाना पड़ा है. एसोचैम ने कहा है कि मोटे तौर पर किसान आंदोलन के कारण देश को हर रोज 3,000 से 3,500 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है. किसानों का आंदोलन करीब तीन हफ्तों से चल रहा है. ऐसे में माना जा रहा है कि 21 दिनों में करीब 75 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है.
इन राज्यों को झटका
एसोचैम का कहना है कि किसानों के आंदोलन के कारण पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर की इकॉनोमी को बड़ी चोट पहुंच रही है. एसोचैम ने केंद्र सरकार और किसान संगठनों से नए कृषि कानूनों को लेकर जारी गतिरोध को जल्दी दूर करने की अपील की है. एसोचैम का कहना है कि किसान आंदोलन की वजह से क्षेत्र की मूल्य श्रृंखला और परिवहन प्रभावित हुआ है, जिससे रोजाना 3,000-3,500 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है.
एसोचैम के अध्यक्ष निरंजन हीरानंदानी ने कहा कि पंजाब, हरियाणा, हिमाचाल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर की इकॉनोमी मिलाकर करीब 18 लाख करोड़ रुपये की है. किसानों के विरोध-प्रदर्शन, सड़क, टोल प्लाजा और रेल सेवाएं बंद होने से आर्थिक गतिविधियां ठहर गई हैं. कपड़ा, वाहन कलपुर्जा, साइकिल, खेल का सामान जैसे उद्योग क्रिसमस से पहले अपने निर्यात ऑर्डर को पूरा नहीं कर पाएंगे, जिससे वैश्विक कंपनियों के बीच उनकी छवि प्रभावित होगी.
वहीं भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) का कहना है कि किसान आंदोलन के कारण आपूर्ति श्रृंखला बाधित हुई है. आने वाले दिनों में इसका असर इकॉनोमी पर दिखेगा. इससे अर्थव्यवस्था का पुनरोद्धार प्रभावित हो सकता है.