100000 km तक चलानी है कार तो टायर्स का रखें ऐसे ख्याल

टायर गाड़ी का एक अहम हिस्सा है। कार और सड़क टायर के जरिए ही जुड़े रहते हैं। टायर अगर अच्छे हैं तो ड्राइविंग का अनुभव शानदार होता है। गाड़ी पर अच्छे से नियंत्रण करना आसान रहता है। ब्रेक अच्छे से लगते हैं और गाड़ी स्किड नहीं करती है। वहीं, कुछ लोग गाड़ी को सावधानी से नहीं चलाते हैं जिससे कार टायर को नुकसान पहुंचता है। ऐसे में कार के टायर समय से पहले ही खराब हो जाते हैं। आइए जानते हैं कैसे करें कार टायर की सही देखभाल।

व्हील एलाइनमेंट, बैलेंसिंग और टायर रोटेशन:

आमतौर पर लोग व्हील बैलेंसिंग, व्हील एलाइनमेंट और टायर रोटेशन को नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन यह टायर की लाइफ बढ़ाते हैं। आप कभी भी कार सर्विस के लिए ऑथोराइज्ड सर्विस सेंटर में जाएंगे तो वहां आपको इसका ऑप्शन मिलेगा। कंपनी के सर्विस सेंटर में यह थोड़ा महंगा पड़ता है। लेकिन बाहर किसी अच्छे टायर शॉप से इसे आप 400 से 500 रुपये में करवा सकते है।

क्या होता है व्हील एलाइनमेंट:

व्हील एलाइनमेंट में कार के फ्रंट सस्पेंशन को व्हील के साथ एडजस्ट किया जाता है। इससे टायर सड़क पर सही एंगल से रहता है और टायर गलत तरीके से नहीं घिसते हैं।

क्यों बिगड़ता है व्हील एलाइनमेंट:

  • खराब सड़कों पर गाड़ी को सही से न चलाना
  • तेज रफ्तार में टायर का गड्ढे में चले जाना
  • हल्की टक्कर
  • तेजी से ब्रेक लगाना आदि।

कैसे पता करें एलाइनमेंट बिगड़ा है कि नहीं:

कम रफ्तार पर कार के स्टीयरिंग से हाथ हटाकर देखें कि गाड़ी सीधी चल रही है या एक तरफ भाग रही है। अगर गाड़ी एक तरफ भाग रही है तो एलाइनमेंट बिगड़ गया है। वहीं, टायर अगर एक तरफ से ज्यादा घिसने लगे हैं। स्टीयरिंग व्हील में हल्का झटका और कंपन महसूस हो तो समझे कि व्हील एलाइनमेंट बिगड़ गई है।

क्या होती है व्हील बैलेंसिंग:

व्हील बैलेंसिंग में टायर और रिम के असंतुलन को ठीक किया जाता है। इससे स्मूद और स्टेबल ड्राइविंग का अनुभव मिलता है। असंतुलित टायर से व्हील और सस्पेंशन को नुकसान होता है।

कैसे की जाती है व्हील बैलेंसिंग:

व्हील बैलेंसिंग में चारों टायर को अलग-अलग एक कंप्यूटराइज मशीन के जरिए चेक किया जाता है। कंप्यूटर द्वारा सुझाई गई जगह पर सही वजन लगाकर बैलेंसिंग की जाती है। अगर एक टायर पर 100 ग्राम से अधिक वजन लगे तो मैकेनिक टायर या रिम बदल देने की सलाह देते हैं। आमतौर पर हर 5 हजार से 6 हजार किलोमीटर पर एक बार व्हील एलाइनमेंट और बैलेंसिंग करा लेना सही होता है।

क्यों जरूरी टायर रोटेशन:

व्हील बैलेंसिंग और एलाइनमेंट के साथ साथ टायर रोटेशन भी जरूर करा लें। गाड़ी के चारों टायर कभी-भी एक साथ खराब नहीं होते हैं। पीछे वाले टायर के मुकाबले सभी गाड़ियों में फ्रंट टायर जल्दी घिसते हैं। सामने गाड़ी के इंजन का वजन होने के कारण आगे के टायर थोड़े जल्दी घिसते हैं। अगर टायर को समय-समय पर रोटेट कर दिया जाए तो टायर के अनचाहे खर्चे से बचा जा सकता है और टायर की लाइफ भी बढ़ जाती है।