कोरोना का खतरा अभी खत्म भी नहीं हुआ था और इसी बीच चीन के वैज्ञनिकों ने एक नया फ्लू वायरस खोज निकाला है। ऐसा माना जा रहा है कि इस वायरस में महामारी का रूप लेने की क्षमता है। रिसर्चर्स ने इस वायर को G4 EA H1N1 का नाम दिया है। के नाम से पुकार रहे हैं, यह फ्लू, स्वाइस फ्लू की ही तरह है जो चीन में वर्ष 2009 में पाया गया था। हालांकि, पहले की तुलना में इसमें कुछ बदलाव देखे गए हैं। कोरोनावायरस की बात करें तो इससे अब तक पूरी दुनिया में 5 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई है।
नेशनल अकैडमी ऑफ सांइसेज में छपे इस शोध की मानें तो फ्लू के इस नए वर्जन या स्ट्रेन में ऐसी क्षमता है कि यह मनुष्यों को बुरी तरह से संक्रमित कर सकता है। रिसर्च में यह भी पता चला है कि यह वायरस सुअरों में पाया गया है। यह इंसान के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकता है। इस वायरस को लेकर रिसर्चर्स ने चिंता जाहिर की है। कहा गया है कि यह वायरस अपना स्वरूप बदल सकता है। साथ ही एक व्यक्ति से दूसरे में आसानी से फैल सकता है। यह भी कोरोना की तरह एक व्यापक और महामारी की तरह सामने आ सकता है।
वैज्ञानिकों ने कहा है कि यह वायरस व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है। इसमें संक्रमण के सभी लक्षण मौजूद है। ऐसे में लोगों को ज्यादा चौकन्ना रहने की जरुरत है। शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि इस वायर सो सुअरों में नियंत्रित करना बेहद जरूरी है। साथ ही सूअर पालन में जितने लोग काम करते हैं उनकी भी निगरानी की जानी चाहिए।
यूनिवर्सिटी ऑफ स्टॉकहोम और यूनिवर्सिटी ऑफ नॉटिंघम के गणितज्ञों के एक नए अध्यन के मुताबिक पूरी दुनिया के कूल आबादी का 70 फीसदी नहीं बल्कि 43 फीसदी लोगों में कोरोना संक्रमित होना जरुरी है। इस स्टडी को साइंस जर्नल में छापा गया है। इस शोध में पाया गया है की ट्रांसमिशन को लिए सिर्फ 43 प्रतिशत लोगों को संक्रमित होना जरुरी है। रिसर्च में यह अनुमान लगाया गया है कि दुनिया की कुछ आबादी के 43 फीसद को इंफेक्ट होने की जरूरत है जिससे ट्रांसमिशन को रोका जा सके। वहीं, इससे पहले अनुमान लगाया गया था कि अगर न्यूनतम 70 फीसद आबादी वायरस से इन्फेक्ट होती है तो इससे हर्ड इम्यूनिटी पैदा हो सकती है।