जानें गर्भवती महिलाओं के लिए कितना खतरनाक है जीका वायरस

डेंगू कि तरह मच्छरों से खतरनाक जीका वायरस भी फैलता है। एडीज मच्छर ही जीका वायरस को फैलाते हैं। इंसान के शरीर में तीन माह तक इस वायरस का असर रहता है। जीका वायरस जानलेवा बीमारी तो नहीं है लेकिन खतरनाक बीमारियों में से एक जरूर है। इस पोस्ट में हम आपको जीका वायरस के लक्षण समेत कुछ जानकारी देने जा रहे हैं। साथ ही यह भी बताएंगे कि गर्भवती महिलाओं को जीका वायरस से किस तरह सावधान रहना चाहिए।

जीका वायरस के लक्षण:

ज्यादातर रोगियों में यह देखा गया है की जीका वायरस का कोई निर्धारित या खास लक्षण दिखाई नहीं देता है। खास बात यह है की जीका वायरस के लक्षण एडीज मच्छरों के काटनेके 3 से 7 दिन के बाद ही दिखाई देते हैं।

जीका वायरस के मुख्य लक्षण:

धीमा या हल्का बुखार आना
सर दर्द की शिकायत होना
मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना
शरीर पर चकते या रेशेज होना
आंख लाल हो जाना

गर्भवती महिला को जीका वायरस के कारण होने वाली परेशानी:

डाक्टरों के मुताबिक, अगर गर्भवती महिला को जीका वायरस संक्रमण हो जाता है तो गर्भपात भी हो सकता है। इसके अलावा कई दूसरी परेशानी भी हो सकती है जैसे जन्म लेने वाले शिशु के सिर का आकर सामान्य से छोटा होना। मां की रोग प्रतिरोध क्षमता कम हो जाती है जिससे अधिक रक्त्स्त्राव होता है। समय से पहले बच्चे का जन्म हो जाना। कई बार मां और बच्चे की जान को भी खतरा हो सकता है। कई मामलों में ऐसे भी देखा गया है की जीका वायरस के कारण बच्चे का सिर छोटा या चपटा हो गया है और सिर के सेल भी सही से डेवलप नहीं हो पाते हैं जो कि बहुत हानिकारक है। बच्चे के जन्म के बाद मांसपेशियों में खिंचाव और दर्द रहता है। उसको चलने-फिरने में दिक्कत का सामना भी करना पड़ सकता है।

जीका वायरस का निवारण:

डाक्टरों का कहना है की जीका वायरस एडीज मच्छरों से फैलते है तो इस वायरस के संक्रमण से खुद को दूर रखने के लिए, खुद को मच्छरों से बचाना बहुत जरुरी है। ज्यादा से ज्यादा समय ऐसे कपडे पहनें जो पूरे शरीर को ढकें। मच्छरों को भगाने वाली क्रीम या अन्य साधनों का इस्तेमाल करें। रात को सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करें। अपने आसपास साफ-सफाई का ध्यान रखें। पानी जमा होने न दें जिससे मच्छर पैदा न हो।

नोट: जीका वायरस का अभी तक कोई निर्धारित वैक्सीन नहीं आया है। अगर आप इसकी रोकथाम कि लिए कुछ सावधानी बरतते हैं तो इससे जीता जा सकता है। इस बीमारी में रोगी को ज्यादा से ज्यादा आराम करना चाहिए। अधिक मात्रा में तरल पदार्थ का सेवन करना चाहिए। वहीं, अगर आप उपरोक्त में से कुछ लक्षण लगते हैं तो आपको तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।