भारत सरकार घरेलू निर्माण को बढ़ावा देना चाहती है। इसके लिए सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए 6.7 बिलियन डॉलर सरकार ने इसके लिए कंपनियों से आवेदन करने को भी कहा है। इससे उम्मीद लगाई जा रही है कि करीब 8 लाख लोगों को इससे रोजगार मिलेगा। सरकार के इस फैसले से भारतीय मेकर्स को बढ़ावा मिलेगा। टेक मिनिस्टर रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव (PLI) के आधार पर मेकर्स को इस नए ऐलान के तहत 4 से 6 फीसद का कैशबैक ऑफर दिया जाएगा। इसे वर्ष 2019-20 को ध्यान में रखकर बनाया गया है।
किन आधारों पर होगा कंपनियों का चयन: सरकार की तरफ से इन कंपनियों का चयन घरेलू स्तर पर निवेश और बिक्री के आधार पर किया जाएगा। इनका ऐलान सरकार अगले 2 महीने में कर सकती है। इनमें टॉप 5 स्मार्टफोन निर्माता कंपनियां शामिल होंगी। इन्हें इPLI स्कीम के आधार पर सेलेक्ट किया जा सकता है। इन्हें अलग-अलग तरह की छूट दी जाएगी। रविशंकर प्रसाद का कहना है कि इससे वर्ष 2025 तक भारतीय स्मार्टफोन मार्केट में करीब 10 ट्रिलियन का कारोबार हो सकता है। इसमें कंपोनेंट प्रोडक्शन भी सम्मिलित होगा।
सिर्फ इतना ही नहीं रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि मेक इन इंडिया की मुहीम उस तरह से काम नहीं कर रही है जिसके लिए पीएम नरेंद्र मोदी ने इसे लॉन्च किया था। यह केवल एक शोपीस बनकर रह गई है। सरकार भारत को एक एक्सपोर्ट हब बनाने पर काम कर रही है। आपको बता दें कि Foxconn और Wistron ने भारत में अपने प्रोडक्शन की हिस्सेदारी को बढ़ा दिया है।
सरकार ने जो प्लान पेश किया है उसके तहत मैन्यूफैक्चरिंग के काम के लिए मौजूदा फैक्टरी और कॉमन फैसिलिटी का उपयोग किया जाएगा। इससे तुरंत काम शुरू करने में कोई परेशानी नहीं होगी। कोरोनावायरस महामारी के चलते जब पूरी दुनिया में सप्लाई चेन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। उस समय भारत में यह कदम उठाना बेहद सकारात्मक साबित हो सकता है।